उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में स्थित शारदा एवं गोमती नदियों के बीच स्थित जिला सीतापुर, प्राचीन काल से ही महान ऋषियों एवं साधुओं की तपस्थली रहने के कारण आज भी लोगों के दिलों में श्रद्धा एवं पवित्रता का अहसास कराता है। इस जिले का नामकरण यहां के शक्तिशाली शासक रह चुके 'छीता पासी' के नाम पर किया गया है। पुरातन में इसका नाम 'छीतापुर' ही था, कालांतर मे सीतापुर हो गया। इस जिले के सभी स्थल स्वयं में समृद्धि एवं शानदार इतिहास से परिपूर्ण हैं। और इन्हीं नगरों में नैमिषारण्य जंगलों के पूर्वी छोर पर स्थित सिधौली नगर भी अपनी गौरवशाली प्राचीन विरासत के कारण फूले नहीं समआता है।
लखीमपुर एवं सीतापुर की जीवन रेखा के रूप में प्रसिद्ध सरायन नदी से कुछ दूरी पर लखनऊ से दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 24 पर सीतापुर जिले में स्थित आकार में त्रिकोणीय क्षेत्र बनाता हुआ 'सीतापुर जिले का हाईटेक शहर "सिधौली" अर्थात सिद्ध पुरुषों का घर एवं गंगा जमुनी तहजीब का एक आदर्श नगर। प्राचीन काल से ही यह देवों के देव महादेव की वंदना का पूजनीय स्थल रहा है। यहां बहुत घना जंगल रहता था एवं नैमिष क्षेत्र के हजारों साधु संत इसी जंगल में तपस्या करते रहते थे। और इसीलिए इसका नाम 'सिद्धों की अवली' अर्थात सिधौली पड़ गया। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में नैमिषारण्य के घने जंगलों में अपनी तपस्या पूर्ण करने के बाद ऋषि, मुनि एवं सिद्ध पुरुष वैदिक दर्शन, अध्यात्म, आदि की चर्चा कर संन्यास का सारा जीवन इसी क्षेत्र में व्यतीत किया करते थे। इसलिए प्राचीन काल से ही यह क्षेत्र ब्राह्मणों एवं वैदिक विषयों के लिए महत्वपूर्ण रहा है। हालांकि रूढ़िवादी वैदिक वर्ण नियम के अनुसार अन्य वर्गों के लोगों का जीवन स्तर यहां बहुत ही निम्न रहा है। तीन शताब्दी ईस्वी पूर्व के बौद्ध धर्म के उन्नयन के बाद यहां की सामाजिक व्यवस्था में बहुत अधिक परिवर्तन हुआ जिससे यहां की अधिकतर जनता बौद्धस्ट हो गई। लेकिन मौर्य वंश के पतन के बाद सत्ता पर फिर रूढ़िवादी वैदिक परंपरा के लोगों का आगमन हुआ जिससे इस क्षेत्र के लोगों पर घोर अत्याचार हुए जिससे यहां की अधिकतर जनता वैदिक धर्म को मानने के लिए विवश हुई लेकिन उन्हें शुद्र वर्ण के अंतर्गत ही रखा गया एवं जिन लोगों ने वैदिक धर्म को नहीं अपनाया उनको शुद्र वर्ण के अंतर्गत अछूत की श्रेणी मैं रख दिया कालांतर में उन्होंने भी वैदिक धर्म को जबरदस्ती मानना पड़ा। आपको जानकर आश्चर्य होगा श्री संपूर्ण उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी आबादी सीतापुर जिले में ही निवास करती है। वैदिक धर्म का पुनः उन्हें हुआ एवं यह क्षेत्र महर्षि दधीचि जैसे महान सन्यासियों से जगमगआने लगा।
सिधौली क्षेत्र की प्राचीनता का दर्शन आप इसी से लगा सकते हैं कि यहां पर पुरातत्व विभाग की उत्खनन के बाद यहां से ताम्र पाषाण कालीन उपकरण मिले हैं जो वर्तमान में लखनऊ राज्य संग्रहालय में दर्शनीय है।
मध्यकाल में सिधौली के पास स्थित बाड़ी गांव मुख्यतः प्रशासन एवं व्यापार का केंद्र रहा। वहां की जनता अधिकतर मुसलमान हो गई एवं कई प्रसिद्ध बड़ी मस्जिदों और मदरसों का निर्माण कराया गया। मध्यकाल मे इसी कस्बे में जन्मे 'सुदामा चरित' के रचयिता महाकवि नरोत्तमदास ने अपनी लेखनी से साहित्य जगत को झकझोर दिया। उनका जन्म अंतिम चौधरी शताब्दी में एक निम्न परिवार में हुआ था। उन्होंने कृष्ण एवं उनके ब्राह्मण मित्र सुदामा की मित्रता का बहुत ही संवेदनशील एवं मार्मिक काव्यात्मक वर्णन करके विश्व में अमर हो गए। दुर्भाग्य से आज उनकी सिर्फ यही करती सुदामा चरित उपलब्ध है। भारत छोड़ो आंदोलन के समय सन 1924 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वयं सिधौली आए थे और उन्होंने यहां की जनता को आंदोलन के लिए प्रेरित किया था। आजादी के आंदोलन में हमारे क्षेत्र से ताराचंद महेश्वरी जैसे महान क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस क्षेत्र में समय-समय पर महान समाज सुधारकों ने जन्म लिया है। इसी में ग्राम हीरापुर में जन्मे 'कुरीति गढ़ संग्राम' के रचयिता प्रसिद्ध कबीरपंथी संत श्री रामाश्रयदास नाई जैसे महाज्ञानियों से धरती गौरवान्वित होती रही है। उन्होंने समाज के आडंबर, अंधविश्वास एवं कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया। हमारी सिधौली ब्लाक से ही परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे, प्रसिद्ध अवधी कवि बलभद्र प्रसाद दीक्षित उर्फ पढीस एवं आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव जैसे महान इतिहासकारों के जन्म से शहर हमेशा गर्व महसूस करता है।
आजादी के बाद सिधौली क्षेत्र दिन प्रतिदिन बुलंदियों को छू रहा है। सिधौली क्षेत्र को अब आदर्श नगर पंचायत का दर्जा दे दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी यहां श्री गांधी डिग्री कॉलेज सिधौली, श्री विमलनाथ शिक्षा प्रशिक्षण महिला महाविद्यालय सिधौली, राजकीय इंटर कॉलेज नीलगांव, श्री गांधी इंटर कॉलेज सिधौली, सर्वोदय विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, नेशनल इंटर कॉलेज, अमरनाथ इंटर कॉलेज एवं ब्राइट फ्यूचर, लाल बहादुर शास्त्री गर्ल्स कॉलेज, यूनिवर्सल इंटर कॉलेज एवं अन्य सभी स्कूल क्षेत्र के विकास में अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा अन्य निजी अस्पताल जैसे प्रवीण क्लीनिक, अफजल क्लीनिक, जय श्री क्लीनिक, एवं मनीष हॉस्पिटल जैसे संस्थान कार्यरत हैं। सिधौली ब्लाक के अंतर्गत अटरिया में हिंद मेडिकल कॉलेज भी क्षेत्र को नई ऊंचाइयां दे रहा है। कृषि के क्षेत्र में ग्राम अंबरपुर में स्थित अनुसंधान कृषि विज्ञान केंद्र उल्लेखनीय है।
इस कस्बे की अवस्थित ऐसी है कि आप यहां से सीतापुर, लखनऊ, महमूदाबाद एवं मिश्रिख जा सकते हैं और लगभग सभी तरफ समुचित साधन व्यवस्था है। वर्तमान में सिधौली के दर्शनीय स्थलों में महाकवि नरोत्तमदास जन्मस्थली बाड़ी, पंच पीर बाबा की मजार बाड़ी, श्री सिद्धेश्वर मंदिर सिधौली मुख्य है एवं सिधौली ब्लाक के अंतर्गत किला कसमंडा स्टेट कमलापुर, ब्लू रोज पिकनिक स्पॉट पार्क नीलगांव, मनवा टीला मनवा जैसे स्थल दर्शनीय है।
No comments:
Post a Comment